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(४) तूं तो नरक निगोदमें वहुदिन. इक अरज सुनी महाराज.
भज लै श्री जिनवर जी की बानी. ८९ ,
हरप उर धारके श्री सम्मेद.
भोजन के समय ॥ ५ हांजू
आदि नाथ जिन भोजन कारण. ५३ प्रभुजी
देवन देव स्वामी जिन अपने. ५४ गीत
श्रीगुरु आये मोर पाहुने. ५५ मोरेलाल
आगे २ राम चलत है.
जन्मोत्सव के समय ॥ ७ वधाई
काई घर२ मंगलाचार जन्मन प्रगटाये.
कांई घर २ मंगलाचार सन्मति जन्मेजी. ९ वुन्देला
समेला कानाहो जइया रावजू. १०६ ,
जिनेश्वर त्रिगलाकेहो. १० वधाई
ऊंचौ सौ नगर सुहावनौ. १०० गीत
लिया आज प्रभूजी ने जन्म. १०३ सौहरौ
प्रणामों आदि जिनेश. ०४ ,
पूरी भई है रैन. ०९
सब देवी छप्पन कुमारी.
हरसमय गाने के। ५२ हमारे आत्मा अब के नर तन पाइयौ मोरे आत्मा.