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( १०७ ) बनरा - ( व्याहुमें)
चाल ( कजरी शहर से नीकरे वारे वनरारे, लाला कर हथियन का मोल, सुघर शाही वनरारे )
कौन नगर से रिंग चले, लटकन वनरारे ॥ लाला कौन को यह दल जाय, सुघर शाही वनरारे ॥ १ ॥ नगर द्वारिका से चले, लटकन बनरारे ॥ लाला जदुवंशी दल जाय, सुघर शाही बनरारे ॥ २ ॥ कौन के हौ तुम लाड़ले, लटकन बनरारे ॥ लाला कौन नगर के राय, सुघर शाही बनरारे ॥ ३ ॥ समद विजै जू के लाड़ले, लटकन वनरारे ॥ लाला नम्र डार्का के राय, सुधर शाही बनरारे ॥ ४ ॥ कौन के होगे भजीहजे, लटकन बनरारे ॥ लाला कौन के लहुरे वीर, सुघर शाही बनरारे ॥ ५ ॥ वसुदेव जी के हैं भतीहजे, लदकन वनरारे ॥ लाला कृष्णके लहुरे वीर, सुघर शाही बनरारे ॥ ६ ॥ कौन सी जननी के लाल हौ लटकन चनरारे ॥ लाला कौन बहिन के बीर, सुघर शाही वनरारे ॥ ७ ॥ शिव देवीमात के लाल हैं, लटकन यनरारे ॥ लाला बहिन समुद्रा के वीर सुघर शाही बनरारे ॥ ८ ॥ सज के बरात जु रिंग चले लटकन बनरारे ॥ लाला व्याहु करन को जांय सुघर शाही वनरारे ॥ ९ ॥ बीच बगीचे मेलियाँ लटकन बनरारे || लाला भूनागढ