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(१०६) बुंदेला (पुत्रोत्पत्ति के समय) जिनेश्वर त्रिसला के हो, दुलारे सिद्धारथ के हो खामी वीरनाथ जिनराय ॥ टेक ॥ कुंडनपुर जन्मन लियौ हो, स्वामी रतन देव बरसाय ॥ जिनेश्वर त्रिसला के हो, हुलारे सिद्धारथ के हो स्वामी वीरनाथ जिन राय ॥१॥ केशरिया रंग तन बनौ हो, स्वामी केसरि चिन्ह लखाय | जिनेश्वर०॥२॥ सिद्ध शिला पावापुरी हो, स्वामी मोक्ष पधारे जाय ॥ जिनेश्वर०॥३॥
औरंगजेब राजा चढौ हो, स्वामी इजमत दई बताय ॥ जिनेश्वर० ॥ ४॥ देश देश के देवता हो, स्वामी नक बंगत करवाय ॥ जिनेश्वर०॥५॥ कुंडनपुर महावीर को हो, स्वामी टांकी मारीजाय ॥ जिनेश्वर०॥६॥ दूध धार छूटी जबै हो, स्वामी पलँग पछारे राय ॥ जिनेश्वर० ॥७॥ भौंर मछौं उड़ २ लगी हो, स्वामी फौज भगी चिल्लाय ॥ जिनेश्वर० ॥८॥ बादशाह विनती करी हो, स्वामी वार २ शिरनाय ॥ जिनेश्वर० ॥९॥ अब प्रभु रक्षा मम करौ हो, स्वामी दुलीचन्द गुणगाय ॥ जिनेश्वर त्रिसला के हो, स्वामी० ॥१०॥