________________ 13 अप्रमाद सूत्र पाया इसे न अबलो इस को न पाना. मैने इमे कर लिया, न इमे कराना / ऐमा प्रमाद करते नहि सोचना है, या जाय काल कब प्रो न हि मूचना है // 160 // मंमार में कुछ न सार अमार मारे. है. मारभूत समतादिक-द्रव्य प्यारे / मोये हुए पुरुष ये बम सर्व खोते, जो जागते महज मे विधि पक धोने // 16 // मोना हि उत्तम प्रधार्मिक दुर्जनों का, है श्रेष्ठ "जागरण" धार्मिक मजनो का / यों वत्मदेवा नपकी अनुजा जयन्ती" वाणी मुनी जिनप की वह नीलवनी // 16 // मोया हवा जगत में वृध नित्य जागे, जागे प्रबोध उर में मव पाप त्यागे / है काल "काल" नन निर्बल ना विवाद, भेरण्ड मे नम अत: तज दो प्रमाद // 163 / / धाना अनेक विध ग्रास्रव का प्रमाद, लाना महर्प वर मंवर अप्रमाद / ना हो प्रमाद तब पण्डित मोह-जेता, होना प्रमाद वश मानव मढ़ नेता // 164 / / मोही प्रवृनि करते नहि कर्म खोते. ज्ञानी निवृनि गहते मनमल धोते / धीमान धीर धरते, धरते न लोभ , ना पाप ताप करते करते न क्षोभ // 165 / / [ 3 // ]