________________
है मोज तेज झरता मुख से शशी हैं, गंभीर, धीर, गुण प्रागर हैं वशी हैं । वे ही स्वकीय परकीय सुशास्त्र ज्ञाता, खोलें जिनागम रहस्य सुयोग्य शास्ता ॥२३॥ जो भी हिताहित यहां खुद के लिए हैं, वे ही सदैव समझो पर के लिए हैं । है जैन शासन यही करुणा सिखाता, सत्ता सभी सदृश हैं सबको दिखाता ॥२४॥
पद्यानुवाद