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________________ (१२) प्रसन्न करें। महाशयो, कैसी अनोखी बात है ! इससे तो यह सिद्ध हुआ कि ईश्वरने ही मनुष्योंसे बुरे काम कराये । जब बनाते समय जीव कर्म रहित थे और वे सत्र बरावर थे, तब उनको शरीरधारी बनाकर क्या लाभ निकाला उलटा उनको जीवन, मरण, रोग, शोक, दुःख, भयसे ग्रसित करके अच्छेसे बुरा बना दिया। फिर यदि बनाया भी था तो अच्छी २ बातोंको क्यों न रक्खा ? इसमें क्या हर्ज था ? बुरी बातोंसे सिवाय हानिके क्या लाभ हुआ और उसका जवाब देह ईश्वरके सिवा और कौन है ? आजकल देखनेमे आता है कि १०० में ८० आदमी बुरे काम करते हैं और ईश्वर की आज्ञाके विरुद्ध कार्य करते हैं । जिधर देखो भलाई के बदले बुराई ही बुराई हो रही है । ईश्वर तो आगेकी बात जानता था। उसने क्या जान बूझकर बुराई पैदा करके लोगोंको बुरे कामोंकी तरफ झुकाया या लोगोंने उसकी आज्ञाके विरुद्ध मनमानी की ? यदि जान बूझकर किया तो ईश्वर हितैषी नहीं और जब हितैवी ही नहीं तो फिर हमको उसपर श्रद्धा और उससे क्या आशा हो सकती है ? वह तो हमारा शत्रु ठहरा । यदि लोगोंने मनमानी की तो ईश्वरने ऐसा क्यों होने दिया ? अपनी क्तिका प्रयोग क्यों नहीं किया है. यदि प्रयोग करते हुये भी लोग ने तो ईश्वरकी शक्ति कहां रही ? ऐसा माननेसे वह सर्वशक्तिमान
SR No.010234
Book TitleJain Gazal Gulchaman Bahar
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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