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( १७ ) अधम उधारण परम पदगामि अजर अमर अविकारो ॥ श्री जिन० ॥ रागद्वेषकर्म बीजजे बलिया बालीकिंधा सर्वेछारो, केवल ज्ञान ने केवल दर्शन, निज गुण लिनो लारों ॥श्री जिन०॥ दान शियल तप.भावना भावो, दया धर्म तत्व अराधो ऋषी लालचन्दजी एणीवद विनये, प्रभु मारो करोनी निस्तारोश्रीजिन मुझने पार उतारो॥इति॥