SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 314
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (६१ ) हुआ दृष्टिवाद प्रयन्त आगम है, यह सर्व लोकोत्तर आगम हैं क्यों कि पदार्थोंका सत्य २ स्वरूप, द्वादशांगरूप आगममें प्रतिपादन किया हुआ है, क्योंकि स्याद्वाद मतमें पदार्थों का सप्त नयोंके द्वारा यथावत् माना गया है जोकि एकान्त नय न माननेवाले उक्त सिद्धान्तसे स्खलित हो जाते हैं । ___ मूल ॥ अहवा आगमे तिविहे पं. तं. सु. त्तागमेय अस्थागमेय तऽभयागमे ॥ भाषार्थः-अथवा आगम तीन प्रकारसे कथन किया गया है । जैसेकि-सूत्रागम १ अर्थागम २ तदुभयागम ३ अर्थात् सूत्ररूप आगम १ अर्थरूप आगम २ सूत्र और अर्थरूप आगम ३ ॥ मूल॥ अहवा आगमे तिविहे पं. तं. अ ____ * द्वादशाङ आगमोंके निम्नलिखित नाम हैं । आचाराग सूत्र १ सूयगडाग सूत्र २ ठाणागसूत्र ३ स्थानाग सूत्र ४ विवाह प्रज्ञप्ति सूत्र ५ ज्ञाता धर्म कथांग सूत्र ६ उपासक दशाग सूत्र ७ मंतठत सूत्र ८ अनुत्रोववाइ सूत्र ९ प्रश्नव्याकरण सूत्र १० विपाकसूत्र ११ दृष्टिवाद सूत्र १२ ॥
SR No.010234
Book TitleJain Gazal Gulchaman Bahar
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy