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________________ १० प्रतिष्ट सैन नरेश्वर कौसत प्रथवी तुम मह ( , तारी ॥ सगुण सनेही साहिब, सांचौ ॥ सेबक नं सुखकारी ||१|| श्रीजित राज सुपास पूरी आस हमारी ॥ - आकंडी 1 धरम काम धन मुक्त इत्यादिक । मन बां छित सुखपूरो || बार२ मुझ बिनती ऐही । भव भव चिंता चूरो ||२|| श्री जिन ॥ जगत सिरोमणि भगत तिहारी ॥ कल्प वृक्ष सम जा णु पूरण ब्रह्म प्रभु परमेश्वर भव भव तु पि छाणुं ॥ ३ ॥ श्रीजिन ॥ हूं सेबक तुं साहब मेरो || पावन पुरुष बिग्यांनी ॥ जनम जनम जित थित जाऊं तौ पाली प्रीति पुरानी |४| श्रीजिन ॥ तारन तरन अरु असरन सरनको बिरदइसो, तुम सोहै ॥ तो सम दीन दयाल जगत में इन्द्र नरिन्द्र न को है ॥ ५॥ श्री ॥ '
SR No.010234
Book TitleJain Gazal Gulchaman Bahar
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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