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________________ पीउ पीउ करजी । जान कृषारितु नेह ॥त्यू: मोमन निस दिन रहै ।। जिन सुमरन सूनेह ॥५॥प्रभु।। काम भोगनी लालसाजी थिरता न धेरै मन्न ।। पिण तुम भजन प्रतापथी ।। दाझै दुरमति बन्न ।।प्रभु भवनिधि पार.. उतारियजीभगत बच्छल भगवान।। विन.. दकी बीनती मानौ किरपानिधानाप्रइति। ढाल ॥ साम कैसै गज को फँद छुडायो एदेशी । पदम प्रभु पाबन नाम तिहारोट जदपि झावर भाल कसाई । अति पापिष्ट ज मारो ॥ तदापि जीव हिंसा तज प्रभु मज ॥ पावैभवदधि पारो॥१॥पदम।।गौ.ब्राह्मण प्रमदा बालक की।मौटी हित्याच्यारो।। तेहनोःकरण हार प्रभु भजन ।। होत हिया सुन्यारो ।। . सो पदमा वेश्यां चुगल चंडाल जुवारी ॥
SR No.010234
Book TitleJain Gazal Gulchaman Bahar
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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