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उधारन वृरुद तिहारो जोवी इण संसारजी।। लाज बिनचंद की. अब तो. भव निधिपार उतारजी|श्री।।इति।४॥ढाला श्री सीतल जि. न साहिबाजी ।। एदेशी। सुमति जिणेसर सा हिबानी।। मेगग्थ नृप नौ नँद ॥ सू मंगलामा, ता तणौजी तनय सदां सुख कंद॥१॥ प्रभू त्रि भवन तिलोजी | . .. आकडी . . . __ सुमति मुमति दातार ॥ महा महिमानि
लोजी ॥ प्रण बार हजार ॥ प्रभु त्रिभुवन तिलोजी ॥२॥प्रभू० ॥ मधुकर नौ मन मोहि यौ जी।मालती कुसम सुवास॥त्यु:मुजमनमोटो सही ॥ जिन महिमा कवि मांस।।३।। प्रभु०॥ ज्यूँ पंकज सूरज मुखीजी ।। बिकसै सूर्य प्रकाश । त्यु मुज मनडों गह गहै । कबि जिन चरित, हुलासा॥४ाप्रभू०॥ पपइयो