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________________ ( १३७ ) प्रणादिय अप्पजवसिय से वत्थेणं नंते किं सादिए सपजवसिय चनभंगो गो वत्थे सादिय सपजावलिय अवसेस्य तिण्डिविपमिसेदियवा जहाणं ते पत्ये सादिय सपजावलिय नो श्रणादिय अप्प नो अणादिय सपनो यणादिय अप्पजा तहा जीवा किं सादिया सपज्जवसिया चोनंगो पुच्छा गोयना अत्थे सादियाअचत्तारि विनापियवा से गो नेर यतिरिक्खंजोणिय मणुस्स देवा गइरागई पडुच्च सादिया सपज्जवसीता सिद्धिगई पमुच्च सादिए थपज्जवसिया नवसिदील िपमुच्च श्रणादिया सपजावसिया अन्नवसिद्धिया संसारं पमुच्च अ-. पादिया अप्पजावसिया॥ नगवतो सूत्र शतक ६ उद्देश ३ ॥ ... भापार्थ:-श्री गौतम प्रभुजी श्री भगवान्मे प्रश्न पूछने हैं कि हे भगवन् ! जीवोंके साथ काँका उपचय (सम्बन्ध ) क्या
SR No.010234
Book TitleJain Gazal Gulchaman Bahar
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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