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वैयावृत्य तप
४४१ एक-दूसरे के सहयोग के बिना कोई जीवित भी नहीं रह सकता । परस्परोपकार को यह वृत्ति छोटे से छोटे जीव में भी रहती है । आप देखते हैं चीटियां कसे समूह य दल बनाकर चलती हैं, वे एक-दूसरे को रक्षा में भी सहयोग करती हैं। मधु मक्खियों का समूह और संगठन तो विश्वप्रसिद्ध है। उनमें राजा और रानी भी होती है, सेवक सेविकाएं, संनिक और आरक्षक भी! मधुम गिरायो का पालन करने वालों का कथन है कि मानय की भांति ही उन में पूरी राजव्यवस्था होती है। पशुओं के इंड और यूध तो आप देखते सुनते ही हैं। उनमे सुधपति गी होता है जो पुरे यूथ की सुरक्षा और पालनपोषण की किस करता है। मातागुन में वर्णन आता है कि मेपकुमार अपने पिछले भाव में मर-प्रन नामका एक बड़ा सुधपति हस्ती बना था जिसके पल में एक हजार हावी-दृधिनियां थी। उन सब के सुसन्दुा की मिन्ता मूषपति मेरु प्रभु रचताना। मृगों, गायों और अन्य पगुजों की लापी को बड़े समुह और होते हैं और सभी एक दूसरे के सहयोग य जयकार
pretail में समूह तो सोत है, दूसरे योग भी को s, feng उनमें सामाजिक भावना का विकास योनिमारकाना है। योग का भी जिन्तुको मह ाद और ना
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