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विनय तप
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तीन व्यक्ति विद्या के अयोग्य हैं-- अधिनीत, सलोनुनी और बार-बार फतह करने वाला। इसका अपं यह है कि अविनीत जीवन में सद्गुण प्राप्त नहीं कर सकता । सद्गुण एवं समान प्राप्त करने के लिये मनुष्य को विनयशील बनना ही होगा। समस्त गुण विनय के अधीन रहते हैं--- पिनयापत्ताश्व गुणाः सयें और इसने भी बड़ी बात है--समस्त गुणों का श्रृंगार विनय ही है-- सकलगुणभूपा च विनयः विनीत की विद्याएं सुशोभित होती हैं। पर प्राचीन आचार्य ने विनय का जीवनयापी प्रभाव बताते हुए कहा
बिगएण गरो गधेण चंदणं सोमयाद रपनियरो।
महरररोण अमयं जपपिपत्त सहइ भयणे।' जैसे सुगन्ध के कारण चन्दन की महिमा है, सौम्यता के कारण चन्द्रमा का गौरव है, मधुरता के लिये अमृत जनप्रिय है वो ही विनर कारमा ही मनुष्य समस्त जगत में प्रिय एवं आदर योग्य होता है। ___ इस दृष्टि से विनय पत्रीका उगा लोक लाभकारी। से सोमप्रियता एवंदादर भी रहता है और आत्मारन, नद्र एवं निगम