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- जैन धर्म में
लघुसवतोभद्र प्रतिमा
(२) महासवंतो भद्र तप-इस तप का प्रारम्भ उपयारा से रिणा जाकर मात (पोटश भक्त) उपवास तक पहुंचा जाता है। बढ़ने का श्म मधु की भांति ही है,सन्तर केवल इतना ही है कि लघु में उत्कृष्ट तग पंचोला है. महा में ७ उपवास । एक परिपाटी का कालमान १ वर्ष १ महीना और १० दिन है। इनकी भी चार परिपाटी होती है। चारों का सम्पूर्ण कालमान' वर्ष ५ मास १० दिन का है। इसकी आराधना वीरकृष्णा (अंतगढ़) गे' पी । इसका प्रम निम्न यंत्र के अनुसार है
महासवंतो भद्र प्रतिमा