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[ १७ ॥ है, किन्तु उनके मन को चुनापा नहीं आया है, मगता है बागा भी नहीं ! युवको जैगी कार्यशक्ति रनमे देयो जाती है, जो हर किसी के लिए मूतिमती प्रेरणा है।
श्री मदार सरी जो म. ने साहित्य के क्षेत्र में भी फाफी कार्य किया है । पच व गध में उनकी अनेक रचनाए प्रााश में ना चुकी हैं। इन रचनाओं में भी उना यही जन्मजात मौन मुपरित रहना है । सामाजिक एव गष्ट्रीय पेतना के स्वर भी उनकी पतियो मे गूजते हुए मुनाई देते हैं । प्रस्तुन पुग्नका जनयी माहित्य मणिमाला को एा जाज्वल्यमान मणि है । अब नव प्रकाशित मतियों में इसबा फुध विशिष्ट स्थान है। उनमें जीयन के नवे अनुमयों और विचागेका दिप प भी उक्त पुप में निगाहना मिलता है। में आशा करता , भोर भागा ही नही मगलरामना करना , फियो गया पेसरी की निगाहो, और उनके द्वारा प्यायनर भविष्य के घी में माय पूर्ण उपलब्धियां गिन मागन को मिलती है ।
प्रस्तुत पुस्तक मे विषय में एक बात और पाहना पागा, दमणा मादन श्री पीचन्य पुराना परस' में रिया राम जी परता गम है. उमर हरामों में जो भी लोग जाती।, यह मा हो जाती है। गरामन मा में तो मुसे मरना चाहिए- पारगत है। उन सारा बनेर करना म परिवार तापी बोरो मारमा पसेर में अभिगनी 'सरम' जो मेरे पाटनमोगी है, उनमें निपट ग या ही नहीं, पना भी।। जंग मार उरी सेपार प्रान मरला कर माग जन मारिता गए नाग-गा, मरि गायन गर को प्रमुदित करता है-यही मंगल कामना । frarent संगमग, मोती रटन
--उपाध्याय अमरमनि