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१०.
जैनधर्म की हजार शिक्षाएं कुछ व्यक्ति समुद्र तैरने जैसा महान् संकल्प करते हैं और समुद्र तैरने जैसा ही महान् कार्य भी करते हैं । कुछ व्यक्ति समुद्र तैरने जैसा महान् संकल्प करते हैं, किन्तु गोष्पद (गाय के खुर जितना पानी) तैरने जैसा क्षद्र कार्य ही कर पाते हैं । कुछ गोष्पद जैसा क्षुद्र संकल्प करके समुद्र तैरने जैसा महान कार्य कर जाते हैं। कुछ गोष्पद तैरने जैसा क्षुद्र संकल्प करके गोष्पद तैरने जैसा ही क्षुद्र कार्य कर पाते हैं।
चत्तारि परिसजाया
वेणामं एगे जहइ णो धम्म । धम्मेणामं एगे जहड णो रुवं । एगे रुवे वि जहइ धम्म वि। एगे णो रूवं जहइ णो धम्मं ।
- व्यवहारसूत्र १० चार तरह के पुरुष हैंकुछ व्यक्ति वेष छोड देते हैं, किन्तु धर्म नहीं छोडते । कुछ धर्म छोड देते हैं किन्तु वेष नहीं छोड़ते। कुछ वेष भी छोड़ देते हैं और धर्म भी ।
और कुछ ऐसे भी होते हैं जो न वेष छोड़ते हैं न धर्म । ११. सत्तहिं ठाणेहिं ओगाढं सूममं जाणेज्जा
अकाले न वरमड, काले वग्सइ, असाधु ण पुज्जति साधु पूज्जंति, गुरुहिं जणो सम्मं पडिवन्नो मणो सुहत्ता, वइ सुहत्ता।
-स्थानांग ७