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संयम
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तत्त्वरुचिः सम्यक्त्वं, तत्त्वप्रख्यापकं भवेज् ज्ञानम् । पापक्रियानिवृत्ति-श्चारित्रमुक्त जिनेन्द्रण ॥
-जानार्णव, पृष्ठ ११ जिनेन्द्र भगवान ने तत्त्वविषयक रुचि को सम्यगदर्शन, तत्त्वविषयक विशेषज्ञान को सम्यकज्ञान और पापमय क्रिया से निवृत्ति को सम्यकचारित्र कहा है।