________________
जिनशासन-शिरोमणि आचार्य भद्रवाहु ६६ को नियुक्त कर चुका है। अब मुझे सघ को वाचना देकर करना भी क्या है ?
भद्रवाह के इम निराशाजनक उत्तर से श्रमण उत्तप्त हुए और उन्होने सघीय विधि-विधानो की भूमिका पर आचार्य भद्रबाहु से प्रश्न किया ।
एव भणतस्स तुह को दडो होई त मुणसु । -मघ की प्रार्थना अस्वीकृत करने पर आपको क्या प्रायश्चित्त होगा?
आवश्यक चूणि के अनुसार समागत श्रमण सघाटक ने अपनी ओर से आचार्य भद्रबाहु के सामने कोई भी नया प्रश्न उपस्थित नही किया। आचार्य भद्रवाहु द्वारा चाचना प्रदान की अस्वीकृति पाकर वह सघ के पास लौटा और उसने सारा सवाद कहा । सघ को इससे क्षोभ हुमा पर दृष्टिवाद की वाचना आचार्य भद्रवाहु के अतिरिक्त और किसी से सभव भी नहीं थी। सघ के द्वारा विशेष प्रशिक्षण पाकर श्रमण सघाटक पुन नेपाल में आचार्य भद्रबाहु के पास पहुचा और उन्हें विनम्र स्वरो मे पूछा-सघ का प्रश्न है कि जो मघ की आज्ञा को अस्वीकृत कर दे उसके लिए किस प्रकार के प्रायश्चित्त का विधान है"
पूर्वश्रुतसम्पन्न श्रुतकेवली आचार्य भद्रवाहु भी इम प्रश्न पर शास्त्रीय विधि-विधानो का चिन्तन करते हुए गम्भीर हो गए। श्रुतकेवली कभी मिथ्या भाषण नहीं करते । आचार्य भद्रवाह के द्वारा यथार्थ निरूपण होगा, यह सबको दृढ विश्वाम था। वैसा ही हुआ। आचार्य भद्रवाह ने स्पष्ट घोपणा की-जो आगम वाचना प्रदान करने के लिए अस्वीकृत होता है, मघ शासन का अपमान करता है, वह श्रुत-निह्नव है, सघ से बहिष्कृत करने योग्य है।
भद्रबाहु द्वारा उत्तर सुनकर श्रमण सघाटक ने उच्चघोप मे कहा--"आपने भी मघ की बात को अस्वीकृत किया है अत आप भी उस दड के योग्य है।" तित्थोगालिय मे इम प्रसग पर श्रमण मघ द्वारा १२ प्रकार के मम्भोग विच्छेद का उल्लेख है। __ महान् यशस्वी आचार्य भद्रबाहु इस अकीर्तिकर प्रवृत्ति से सम्भल गए। उन्होंने सबको मतोप देते हुए कहा-"मैं सघ की आज्ञा का सम्मान करता है । मैं महाप्राण ध्यान साधना में प्रवृत्त है । इस ध्यान साधना से १४ पूर्व की पूर्ण ज्ञानराशि का मुहुर्त मात्र में परावर्तन कर लेने की क्षमता आ जाती है । अभी इसकी सम्पन्नता मे कुछ समय अवशेप है । इससे मैं वहा आने में असमर्थ हू । सघ मेधावी श्रमणो को यहा प्रेपित करे, मैं उन्हें साधना के साथ वाचना देने का प्रयत्न करूगा।" तित्थोगालिय के अनुमार आचार्य भद्रवाहु का उत्तर था
एक्केण कारणेण, इच्छ भे वायण दाउ । -मैं एक अपवाद के साथ वाचना देने को प्रस्तुत होता है।