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२२. धर्मोद्योतक आचार्य उद्योतन सूरि .
___ आचार्य उद्योतन सूरि नेमीचन्द सूरिके शिष्य थे। उन्होने अपने जीवन मे कई तीर्थ-यात्राए की। एक बार वे आव की यात्रा करते समय आबू पर्वत की तलहटी मे एक विशाल वट वृक्ष के नीचे बैठे थे। वह विशाल वृक्ष तेली नामक ग्राम के निकट था। सूरि जी ज्योतिपविद्या के प्रकाड विद्वान् थे। उन्होने उस समय बलवान् ग्रह नक्षत्रो को देखकर सर्वदेव आदि आठ शिष्यो को एकसाय आचार्य पद पर नियुक्त किया और अपने शिष्य परिवार को वट वृक्ष की तरह विस्तार पाने का आशीर्वाद दिया। तभी से सर्वदेव सूरि का शिष्य परिवार बडगच्छ नाम से प्रसिद्ध हुआ और वह वट शाखा की तरह ही विस्तार पाता रहा। कई विद्वानो का अभिमत है कि चौरासी गच्छो की शाखाए यही से प्रस्फुटित हुई। ।
सर्वदेव सूरि आदि आचार्यों की नियुक्ति वी०नि० १४६४ (वि० स० ६६४) मे हुई। इससे उद्योतन सूरि का समय वी० नि० की १५वी (वि० स० १०वी) सदी निश्चित होता है।
शुभ नक्षत्र को देखकर वट वृक्ष के नीचे आठ व्यक्तियो को उद्योतन सूरि ने दीक्षा दी थी। आचार्य पद के लिए नियुक्ति नही की थी। ऐसा भी कही-कही उल्लेख मिलता है। ___ मालवा से शन्नुजय जाते हुए धर्मोद्योतक आचार्य उद्योतन सूरि का रास्ते में ही स्वर्गवास हो गया।