SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 374
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १३ ) होनी चाहिये क्योंकि स्त्रियों में पुरुष की अपेक्षा काम की तीव्रता कई गुनी होती है। ___ जब हम देखते हैं कि “विधवा विवाह" के विरोधी विधुर हो जाने पर बुढ़ापे में भी अपना दूसरा विवाह कर लते हैं, परन्तु बाल व युवान विधवाओं का विवाह नहीं होने देते हैं तो हमें उनकी इस करतूत पर बहुत क्रोध पाता है और दिल में प्राता है कि....।' ७. वर्तमान अवस्था में "विधवा विवाह" की आवश्यकता वर्तमान अवस्था में "विधवाविवाह' 'अत्यन्त' से अधिक आवश्यक है हमारे रूढ़ि प्रेमी मित्रों की कृपा (?) से बाल विवाह, वृद्ध विवाह और अनमेल विवाह आदि अनंक कुप्रथाओं ने अड्डा जमा रक्खा है जिसके कारण आज समाज में हजारों की संख्या में विधवाएँ पाई जाती है उनका जीवन भी उनकी दया (?) मे दयनीय बन रहा है। बहुत मे मित्र यह कहते है कि “कुप्रथाओं में विधवाएँ बनती हैं, इसलिये सबसे पहिले इन कुप्रथाओं को रोकना चाहिये, जब कुप्रथाएँ नष्ट हो जायगी, तब विधवा भी न बनेंगी। इसलिये "विधवा विवाह" के प्रचार को बन्द रखकर इन कुप्रथाओं को नष्ट करने में अपनी शक्ति लगानी चाहिये।" यदि मान लीजिये कि इन कुप्रथाओं का श्राज ही अभाव हां जाय तो वर्तमान समय हजारों विधवाओं को उससे क्या लाभ होगा। उनका जीवन तो संकट मय ही रहेगा उनका जीवन जभी सुखी बन सकता है जब कि उनका विवाह किया जाय । इसलिये कुप्रथाश्रो को बन्द करने के साथ "विधवाविवाह" प्रचार भी आवश्यक ठहरता है।
SR No.010223
Book TitleJain Dharm aur Vidhva Vivaha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSavyasachi
PublisherJain Bal Vidhva Sahayak Sabha Delhi
Publication Year
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy