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________________ सकता है। हमारा कहना तो यह है कि वैधव्य उसका बाधक नहीं है। सोलहवाँ प्रश्न "जिसका गर्भाशय गर्भधारण के योग्य नहीं हुआ उस को गर्भ रह जाने से प्रायः मृत्यु का कारण होजाता है या नहीं ?" इस प्रश्न के उत्तर में वैद्यक शास्त्र के अनुसार उत्तर दिया गया था । आक्षेपकों को भी यह बात मंजूर है । परन्तु उसके लिये १६ वर्ष की अवस्था की बात नहीं कहते । श्राक्षेपको ने इसपर जोर नहीं दिया । हम अपने मूल लेख में जो कुछ लिख चुके हैं उससे ज़्यादा लिखने की ज़रूरत नहीं है। आक्षेप (क)-सन्तानोत्पादन के लिये दृष्टपुष्टता की आवश्यकता है, उमर की नहीं। (श्रीलाल, विद्यानन्द) समाधान-सन्तानोत्पादन के लिये हृष्टपुटताकी श्राव. श्यकता है और हण्पुरता के लिये उमर की प्रावश्यकता है। हाँ, यह बात ठीक है कि उमर के साथ अन्य कारण भी चाहिये। जिनके अन्य कारण बहुत प्रबल हो जाते हैं उनके एक दो वर्ष पहिले भी गर्भ रह जाता है, परन्तु इससे उमर का बन्धन अनावश्यक नहीं होता, क्योंकि ऐसी घटनाएँ लाख में एकाध ही होती हैं। श्रीलाल स्वीकार करते हैं कि कई लोग २०-२४ वर्ष तक भी सन्तानोत्पत्ति के योग्य नहीं होते। यदि यह ठीक है तो श्रीलाल को स्वीकार करना चाहिये कि १२ वर्ष की उमर में विवाह का नियम बनाना या रजस्वला होने के पहिले विवाह कर देना अनुचित है। यदि विवाह और सन्तानोत्पा. दन के लिये हष्टपुष्टता का नियम रक्खा जाय तब १२ वर्ष का नियम टूट जाता है और बालविवाह मृत्यु का कारण है-यह बान सिद्ध हो जाती है।
SR No.010223
Book TitleJain Dharm aur Vidhva Vivaha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSavyasachi
PublisherJain Bal Vidhva Sahayak Sabha Delhi
Publication Year
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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