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________________ ( १२६) सन्तान नहीं होती, फिर भी वे विवाह नहीं कराते। क्योंकि उन्होंने विवाह का मख्य उद्देश्य विवाह के बिना ही पूर्ण कर लिया है। मुख्य उद्देश्य की पूर्ति होने पर गौण उद्देश्य की पूर्ति के लिये कार्य नहीं किया जाता। प्राक्षेप (द)-कामवासना के शान्त न होने के कारण विधवाविवाह के विगंधी, विधवाविवाह का विरोध नहीं करते, किन्तु उनसे विरोध करने का कारण है भगवान महावीर का पागम । पाप उत्तर दें। आपके प्रमाण हमें अँचे तो हम आप के आन्दोलन में आपका हाथ बटायेंगे। समाधान-नघमाँ प्रश्न भगवान के प्रागम के विचार का नहीं था । उसका विचार नो पहिलं प्रश्नों में अच्छी तरह होगया। इसमें तो यह पूछागया है कि विवाहसे काम लालसा के परिणामों में न्यनता पाती है या नहीं ? यदि श्राती है तो विधवाविवाह प्रावश्यक और उचित है। यदि नहीं पाती तो विधवाविवाह अनावश्यक है । इसीलिये हमने युक्ति और शास्त्र प्रमाणों से सिद्ध किया है कि विवाह से संक्लेशता कमती होती है। युक्ति और तर्क के बलपर हमारे आन्दोलन में वही शामिल होगा जो सत्यप्रिय होगा, प्रात्मोद्धार का इच्छुक होगा, दशसमाज का रक्षक होगा । सव्यसाची, टक के गुलामो की पर्वाह नहीं करता। जिस प्रकार प्राचीन सव्यसाची ने कृष्ण का बल पाकर अपने गाराडीव धनुष से निकले हुए वाणों से कौरव दल का अवसान किया था उसी प्रकार आधुनिक सव्यसाची भगवान महावीर का बल पाकर अपने खान गाराडीव से निकले हुए तकरूपो वाणों से स्थितिपालक दस का अवसान करेगा। माक्षेप (ण)-सव्यसाची महोदय को दृष्टि में व्यभि. चार को रोकने का उपाय विवाहमागे को उड़ाना है। आपको
SR No.010223
Book TitleJain Dharm aur Vidhva Vivaha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSavyasachi
PublisherJain Bal Vidhva Sahayak Sabha Delhi
Publication Year
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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