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मुक्ति मार्ग
"बुज्झिज्जति तिउट्टिज्जा, बंधणं परिजाणिया।"
--सूयगडागसुत्त। जैनधर्म आध्यात्मिक ज्ञान की शक्ति पर पूर्ण विश्वास करता है, जिससे आत्मा अपने बन्धनो को सदा के लिए तोड देता है। और अपनी अनन्त असीम नैसर्गिक शक्तियो का परिपूर्ण विकास करके शाश्वत सिद्धि का लाभ करता है।
महावीर कहते है-"गौतम ! जो जानता है, वही बन्धनो को तोडता है। ज्ञान की सार्थकता अन्धकार को दूर करके आलोक को प्राप्त करना है और चारित्र धर्म की आवश्यकता उस आलोक मे दृष्टिगोचर होने वाले दोषो को दूर कर आलोकित स्थान को स्वच्छ एवं पावन बनाना है।"
___ जैनधर्म के अनुसार, जिससे तत्व का यथार्थ बोध मिलता है, वह सम्यग्ज्ञान कहलाता है, जिससे तत्वार्थ पर अडिग अडोल विश्वास प्राप्त होता .. है, उस दृढ प्रतीति को सम्यग्दर्शन कहा जाता है, और जिस प्राचारप्रणालिका के द्वारा अन्त करण की वृत्तियो को नियंत्रित किया जाता है, जीवन के अन्तरग और बहिरग को स्वस्थ एव सशुद्ध रक्खा जाता है, ऐसी दोषनिर्नाशिनी पद्धति और गुणविकासिनी पद्धति सम्यक् चारित्र कहलाती है। यही जैनधर्म की