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' ( ६३ ) अभाव को ही दें अथवा स्थिति नामक सहायक शक्ति को स्वीकार करें। ___ महावीर की यह मौलिक सूझ असाधारण है इसको गति की तरह अ.धुनिक यांत्रिक प्रयोग के लिये प्रयत्न साध्य कर लेने पर अद्भुत सम्भावनाओं का विस्तृत क्षेत्र मानव बुद्धि प्रमोद के लिये उन्मुक्त हो जायगा। आधुनिकतम विज्ञान की शोध अणु के निर्माण सद्धांत का निर्णय करते हुये यह मानने को बाध्य होती जा रही है कि अणु के परमाणुओं को एक साथ संलग्न या संश्लिष्ट रखने की कोई आधारभूत नई शक्ति प्रेरणा होनी ही चाहिये । इस '
ओर इन लोगों की सूझ अभीतक मेसोन ( Mason ) नामक नवाविष्कृत अण्वांश तक पहुंची है, जिसे वैज्ञानिक यह श्रेय देने को तत्पर हुए हैं कि यही मेसोन नामक अण्वांश-महावीर के चरम परमाणु से आकार में बहुत बड़ा ही शायद व्यवहारोपयोगी अणुओं के electron, proton, neutron, detron आदि अंशों को एक साथ आबद्ध करने या रखने में समर्थ है । इस विवेचना से यह परिणाम तो निकाला जा सक्ता है कि अण्वांशों को एक सूत्र में ( रूप विशेष या अाकार विशेष में ) श्राबद्ध, संलग्न या संश्लिष्ट रखने में कोई सहायक तत्त्व चाहिये ही। भले ही वह तत्त्व अणु की ही कोई शक्ति हो अथवा कोई पृथक सत्ता हो । तद् विषयक विचार प्रेरणा के अभाव में अर्थात् स्थिति नियामक शक्ति की मान्यता के अभाव में उपलब्ध तत्त्वों को उक्त प्राकृतिक कार्यों के सम्पादन का श्रेय देना आंशिक युक्तिपूर्ण है ही।
महावीर यहीं पर अड़े थे और उन्होंने कहा था कि स्थिति, पृथक