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________________ बड़े और भारी प्रकाश पुज के रूप में थी। जिसका वजन ६,००,००,००,०० ००,००,००,००,००० टन था । इस प्रकाश ज में से छिटक-छिटक कर मूर्य नक्षत्र और निहारिकाओं का जन्म हुआ। इन चारों सिद्धान्तों में महान आकस्मिक विम्फोट का मिद्धान्त और सतत् उत्पति का सिद्धान्त प्रमुख हैं । महान पाकस्मिक विस्फोट का सिद्धान्त जिसे सन् १९२२ में रूमी वैज्ञानिक डा० फ्रेडमैन ने जन्म दिया, हिन्दुओं की कल्पना मे मेल खाता है । जिसके अनुसार ब्रह्मान्ड का जन्म हिरण्य गर्भ से हुग्रा (सोने का अण्डा) मोना धातुओं में सबमे भारी है। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि जिस पदार्थ मे विश्व की रचना हुई वह बहुत भागे था। उसका घनत्व सबसे अधिक था। बढ़ते- बढ़ते यही अण्डा विश्वरूप हो गया। विज्ञानाचार्य श्री चन्द्रशेखर जी आजकल अमेरिका में रहते हैं । उन्होंने गणित के प्राधार पर बतलाया है कि विश्व रचना के प्रारम्भ में पदार्थ का घनत्व लगभग १५० टन = ४८८० मन) प्रति घन इच था। जबकि एक घन इंच मोने का तोल केवल ५ छटांक होता है। दूसरे शब्दों में वह पदार्थ अत्यन्त भागे था । आजकल के वैज्ञानिक इम प्रश्न पर दो समुदायों में वटे हुए हैं । एक वह जिनका मत है कि यह ब्रह्माण्ड अनादिकाल से अपरिवर्तित रूप में चला आ रहा है और दूसरा वह जो यह विश्वास करते हैं कि प्राज से अनुमानतः १० या २० अरब वर्ष पूर्व एक महान आकस्मिक विस्फोट के द्वारा इस
SR No.010215
Book TitleJain Darshan aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorG R Jain
PublisherG R Jain
Publication Year
Total Pages103
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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