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गोधी लोग इसमें किरमिच का वाशर लगवा लेते हैं तब यह दोष मिट जाता है लेकिन यह वाशर ज्यादा दिन नही टिकता।
८. अंग्रेजी औषधियों का प्रयोग हमारे व्यवहार में अंग्रेजी औषधियों का प्रयोग दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है, इसका कारण है उन औषधियों का चमत्कारिक और तात्कालिक फल । कुछ लोगों का यह विचार है कि तरल दवाइयों में शराब मिली रहने के कारण उन्हें नहीं लेना चाहिये और सूखी दवाई लेने में कोई हर्ज नहीं है । यह विचार नितान्त सत्य नहीं है और इन्जेक्शन के सम्बन्ध में तो हमारे पंडितों ने अभी तक कोई निर्णय दिया ही नहीं है । हमें यह निर्णय कर देना चाहिये कि वह दवाइयां जैसे लिवर एक्सट्रैक्ट (liver extract) या इन्सुलिन (Insulin) जो सीधे मांम से तैयार की गई हैं उनका इन्जेक्शन लगवाना मास भक्षण की श्रेणी में प्राता है या नहीं। इसके अतिरिक्त अब सूखी दवाइयां भी जिलेटिन के कैपमूल में बन्द होकर पाती हैं। जिलेटिन एक महाअपवित्र, मांमीय पदार्थ है । अतएव हमारी गय मे जिसने मांस भक्षण का सर्वथा त्याग कर दिया है उन्हें अंग्रेजी दवाइयां और इन्जेक्शन नही लगवाने चाहिये जब तक कि अच्छी तरह से यह न ज्ञान हो जाये कि ये मांस जैसे पदार्थों से तैयार नहीं की गई है । उन्हें शुद्ध प्रायुर्वेदिक, यूनानी अथवा होम्योपैथिक औषधियों का ही प्रयोग करना चाहिये ।