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________________ ६६ स्पष्ट है कि देशी बुरे के मुकाबले में दानेदार शक्कर त्याज्य है । अभी कई वर्षो पहले तक यह देखने में आता था कि शक्कर को पूर्ण रूप से सफेद करने के लिये अर्थात् उसकी सुर्खी को मिटाने के लिये हड्डी के कोयलों का व्यवहार किया जाता था । कही कही अब भी यह पद्धति चल रही है, अतएव इस संमगंज दोष के कारण भी यह शक्कर त्याज्य है । वर्तमान काल में अगर देशी वृग दानेदार ठाक्कर के मुकाबले में इतना अधिक महगा न होता तो हमारे घरों से ऐसे गुणवान पदार्थ का निष्कासन नही होता । जो लोग देशी बूरा इस्तेमाल करने में असमर्थ हैं, उन्हें चाहिये कि दानेदार शक्कर की चासनी बनाकर उसमें गुड़ मिला कर और उसको पुनः पीसकर व्यवहार में लाएं तो सफेद शक्कर का दोष मिट जायेगा । दाना मेथी का प्रयोग मधुमेह का सस्ता और अच्छा इलाज है । जिन भाई अथवा बहनों को यह रोग हो, उन्हें यह चाहिये कि ३ माशा मेथीदाना रात को पानी में भिगो दें और सुबह उसका नितरा हुआ पानी पीले । कुछ दिन निरंतर सेवन करने से लाभ प्रतीत होगा । जिन भाइयों को अधिक शक्कर खाने की प्रादन हो उन्हें मिठाई के साथ-साथ दानामेथी का साग किसी रूप में प्रयोग करना चाहिये। मारवाड़ियों में यह ग्राम प्रथा है कि उनके प्रत्येक दावत में दाना मेथी का साग होता ही है। अतएव भरपेट मिठाई का प्रयोग करने पर भी उसका दुष्परिणाम देखने को नहीं मिलता ।
SR No.010215
Book TitleJain Darshan aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorG R Jain
PublisherG R Jain
Publication Year
Total Pages103
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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