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डॉ. भालचना न भास्कर साल पहले (मैन और बोड) पोखमय के मध्ययन-मध्यापन में विश्वविद्यालय में १९६५ से पालिस विभागाच्या कर रहेहै और साथ ही संसात विमान में भी मध्यापन कार्यकारी। अभी तक उनकी अनेक पुस्तकें प्रकाशित होती है। JatBuddhist Literature (तोष प्रबन्ध), बोर संसालिका हाल, चतुःशतकम् (संपावन और मनुवाद), पातितोल (सन र अनुवाद), पालिकोससंगहो (संपादन), भ. महावीर मार - चिन्तन, भारतीय संसातीला बोर बदि योगदान (ग) मावि उनकी कृतियों में विता-क्षेत्र में अपना स्थान बना लिया है।
मान हम . भास्कर की ही एक अन्यतम ति नन बार संस्कृति का इतिहास" का प्रकाशन विस्क-विचालय बनुनमायण द्वारा प्रबत माषिक सहयोग से कर रहे हैं। इससोबत मिल लेखक ने जैन धर्म के इतिहास, संघ, सम्बवाय, साहिल न और संस्कृति पर गंभीर प्रकाश है। इलाहीही भारतीय और पास्चात्य पर्शनों से भी पवाल्याला लिए इसकी उपयोगिता और बढ़ गई है। एतव
बामा है, गंगापार का कहनवीन बार सोनों को अधिकाधिक उपयोगी लिव होगा।