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अभिमत
डॉ. भागचन्द्र जैन भास्कर द्वारा मंचित शोध-कृति माद्योपान्त पड़ी । स में डॉ. भास्कर ने जैन संस्कृति का तिहास, साहित्य, संघ, दर्शन एवं स्कृति को बड़ी चिन्तनशीलतापूर्वक स्तुत किया है। डॉ. जैन इसके लिए धाई के पात्र है । जैन कला और स्कृति का अनूठा विवेचन करने वाला ह शोध-धन्य सर्वत्र समादरणीय होगा, ता हमारा विश्वास है ।
डॉ. प्रो. मधुकर आष्टीकर भूतपूर्व अधिष्ठाता, कला संकाय, नागपूर विद्यापीठ
डॉ. भास्कर का "जैन दर्शन और संस्कृति का इतिहास, नामक नुसन्धानात्मक ग्रन्थ देखने का अवसर कि । इस में विद्वान लेखक ने जैन स्कृति के समग्र पक्षों को अपने गंभीर ध्ययन के माध्यम से प्रस्तुत किया है ।
भारतीय और पाश्चात्य दर्शनों साथ उन्होंने जैन दर्शन की तुलना भी है । इतने सुन्दर और उपयोगी ब के लेखन के लिए डॉ. भास्कर का न प्रशंसनीय है ।