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जैन-दर्शन जानने के कारण मोत-मार्ग से बहुत दूर जा पडते हैं और अपने आत्मा का कल्याण नहीं कर सकते । इस प्रकार चितवन करना अपाय विचय है । अथवा इस प्रकार मिथ्या मार्ग पर चलने वाले पुरुष अपना मिथ्या मार्ग छोडकर सन्मार्ग पर कब और किस प्रकार आवेंगे इस प्रकार मिथ्या मार्ग के अपायका चितवन करना, मिथ्या मार्ग के नाश का चितवन करना अपाय विचय नाम का धय॑ध्यान है । अथवा इनके अनायतनों की सेवा कर छूटेगो और पापाचरण कव छूटेगा, इस प्रकार का चितवन करना अपायविचय है।
विपाक-विचय-कर्मों के उदय उदीरणा का चितवन करना विपाक विचय नामका धर्म्यध्यान है। किस किस गुणस्थान में किस किस कसका उदय होता है, उसको पूर्ण रूप से चिंतवन करना विपाक विचय है । अथवा संसार में जो कुछ सुख दुख प्राप्त होता है वह सब कर्म के उदय से होता है, तथा कर्मका उदय अनिवार्य है, उसको कोई नहीं रोक सकता इस प्रकार चितवन करना विपाक विचय है।
संस्थान विचय-लोकाकाश का स्वरूप आगे लिखेंगे | उस लोकाकाश के द्वीप समुद्रों का, उनके अकृत्रिम जिनालयोंका, देव देवियों के निवास स्थानका, नारकी तिथंच और मनुष्यों के निवास स्थानका चितवन करना संस्थान विचय है।