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जैन-दर्शन
__२१६] सिवाय चौवीस कामदेव, नौ नारद, ग्यारह रुद्र वा महादेव चौदह कुलकर तथा तीर्थंकरके माता पिता भी उत्तम पुरुष कहे जाते हैं ।
इस अवसर्पिणी के चौथेकाल में ऋषभदेव, अजितनाथ, शंभवनाथ, अभिनन्दन नाथ, सुमतिनाथ, पझप्रभ, सुपाश्वनाथ, चन्द्रप्रभ, पुष्पदन्त, शीतलनाथ, श्रेयांसनाथ, वासुपूज्य, विमलनाथ, अनंतनाथ, धर्मनाथ, शान्तिनाथ, कुंथुनाथ, अरनाथ, मल्लिनाथ मुनिसुव्रतनाथ, नमिनाथ, नेमिनाथ, पाश्वनाथ और महावीर स्वामी इस प्रकार चौवीस तीर्थकर हुए हैं । भरत, सगर, मघवा, सनत्कुमार शान्तिनाथ, कुंथुनाथ, अरनाथ, सुभौम, पद्म, हरिषेण, जय
और ब्रह्मदत्त, ये बारह चक्रवर्ती हुए हैं । त्रिपृष्ठ, द्विपृष्ठ, स्वयंभू पुरुषोत्तम, पुरुषसिंह, पुंडरीक, दत्त, लक्ष्मण, कृष्ण ये नौ नारायण हुए हैं । अचल, विजयभद्र, सुप्रभ, सुदर्शन, आनंद, नंदन, रामचन्द्र और वलभद्र ये नौ बलभद्र हुए हैं। अश्वग्रीव, तारक, मेरक, मधु, निःशुभ, वली, प्रहलाद, रावण जरासंध ये नौ प्रतिनारायण हुए हैं । भीम, महाभीम, रुद्र, महारुद्र, काल, महाकाल, दुमुख, नरकमुख, अधोमुख ये नौ नारद हुए हैं । भीम, वली, जितशत्रु, रुद्र, विश्वानल, सुप्रतिष्ठ, अतल, पुडरीक, अजितधर, जितनमि, पीठ, सात्यकी, ये ग्यारह रुद्र हुए हैं। बाहुबली, अमिततेज, श्रीधर, दशभद्र, प्रसेनजित, चन्द्रवर्ण, अग्निमुक्ति, सनत्कुमार, वत्सराज, कनकप्रभ, मेघवणे, शान्तिनाथ, कुंथुनाथ. अरनाथ, विजयराज, श्रीचन्द्र, राजानल, हनुमान, वलराजा, वसुदेव, प्रद्युम्न कुमार, नागकुमार, श्रीपाल, जंबूस्वामी ये चौबीस कामदेव हुए हैं। प्रति