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जैन-दर्शन
१२६] . ब्रह्मचर्य-प्रतिमा-ऊपर की छहों प्रतिमाओं को पूर्ण रूप से पालन करता हुआ जो श्रावक पूण ब्रह्मचर्य का पालन करता है, अपनी विवाहिता स्त्रीका भी त्यागकर देता है, वह सातवीं ब्रह्मचर्य प्रतिमाको धारण करनेवाला कहलाता है।
. इस सातवी प्रतिमाको धारण करनेवाला उदासीन रूप से अपने घर में भी रह सकता है तथा घर में रहने का त्याग भी कर सकता है । जो घर में रहने का त्याग कर देता है वह सफेद वस्त्र भी धारणकर सकता है तथा गेरुआ वस्त्र भी धारण कर सकता है।
प्रारंभत्याग प्रतिमा-जो श्रावक ऊपर की सातों प्रतिमाओं का पालन करता हुआ पाप के डर से खेती व्यापार आदिका त्याग कर देता है, रसोई बनाने वा अन्य समस्त आरंभों का त्यागकर देता है, कोई किसी प्रकार का आरंभ नहीं करता वह आरंभ-त्याग प्रतिमाको धारण करनेवाला कहलाता है ।
परिग्रहत्याग प्रतिमा-ऊपरकी आठों प्रतिमाओं को पूर्ण रूप से पालन करनेवाला जो श्रावक वाह्य परिग्रहों का भी त्यागकर देता है तथा शक्ति अनुसार अंतरंग परिग्रहों का भी त्यागकर देता है, जो केवल थोडे से वस्त्र मात्र परिग्रहको रखता है वह परिग्रह त्याग प्रतिमाको धारण करनेवाला कहलाता है। :
अनुमति-त्याग प्रतिमा-ऊपरकी नौ प्रतिमाओं को पूर्ण रूप से पालन करनेवाला जो श्रावक किसी भी आरंभ में, किसी भी परिग्रह में तथा और किसी भी विवाह शादी व्यापार आदि लौकिक