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________________ 0000. फैली प्रभा चिरकाल इसकी एशिया, यूनानमें । कार्थेज, अफरीका,२ तथा वो मिश्ररोम फिनीशिया, जाके यहाँसे भी वहांपर घास जैनोंने किया। १ "जब बौद्धमत और हिन्दू मतके लोगोंमें सारे हिन्दुस्तानमें संग्राम हो रहा था, तब बौद्धमत और जैनमतके लोग यहासे निकल कर यूनान कार्थेज, फिनीशिया, फिलस्तीन, रोम और मिश्र आदि देशोंमें पहुंच कर आवाद हुये।" ___ २ अब हम देखते हैं कि जैन धर्म अफरीकामें भी फैला हुआ था इसके लिये भी "हिन्दुस्तान कदीम" पुस्तक साक्षी है। इसके पृष्ठ ४२ पर इस प्रकार लिखा है। जिस प्रकार यूनानमें हमने साबित किया कि हिन्दुस्तानके हमनाम शहर और पर्वत विद्यमान है उसी प्रकार मित्र देशमें भी जानेवाले भाई अपने प्यारे वतनको नहीं भूले , उन्होंने वहां एक वर्तमान Merse (सुमेरु र रक्खा । दूसरे पर्वतका नाम Caela (कैलास) रक्खा। एक सूवा गुरना है जिसमें मन्दिर और मूर्तियां गिरनार जैसी आजतक मिलती हैं, जो अवश्य वहांके ही (जैनी) लोगोंने वसाया होगा । इत्यादि" (दिगम्बर जैन वीर सम्बत् २४५२ अङ्क ४) यूनानके अथेन्स नगरमें आज भी एक जैन श्रमणकी समाधि जैन धर्मके प्रभावको प्रगट कर रही है। सीलोनसे (लंका) में भी भगवान महावीरका धर्म प्रचलित हुआ था, वह वात स्वयं बौद्ध ग्रन्थोंसे प्रगट है। वहाके प्रसिद्ध नगर अनुरुद्धपुरमें एक निरमन्थ
SR No.010211
Book TitleJain Bharati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunbhadra Jain
PublisherJinwani Pracharak Karyalaya Kolkatta
Publication Year1935
Total Pages188
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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