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जित हो गई। दिल्ली तथा उसके आस-पास के प्रदेश हरियाणा, पश्चिमी यू० पी०, मध्यप्रदेश, राजपूताना, महाराष्ट्र तथा गुजरात के अधिकांश सभी जातियों के लोग अहिंसा की प्रतिष्ठा करते हैं ।
(vi) प्रामाणिकता:जैन गृहस्थ अहिंसा पालन के साथ कर्तव्य के प्रति बहुत जागस्क थे । वे देश के विकास और रक्षा के लिये अपना सर्वस्व समर्पित कर देते थे जैसे कि निकट अतीत में राजस्थान में महाराणा प्रताप के मत्री 'भामा शाह' जैन ने आपत्कालीन स्थिति में अपनी समस्त सम्पत्ति देश-रक्षा हित महाराणा को सौप दी थी।
— दक्षिणी भारत मे जैन समाज ने शिक्षा (ज्ञान दान), जीविका (अन्नदान), चिकित्सा (औषध दान), अहिंसा (अभयदान) के माध्यम से जैन धर्म को 'जैन धर्म का वास्तविक रूप' दे दिया था।
___(ix) सशक्त और कुशल आचार्यों का नेतृत्व:नीतिवान्, प्राचारवान्, प्रज्ञावान् तथा शक्तिवान् आचार्यों ने देश, समाज और साहित्य की जो सेवा की वह बेजोड़ है। उनकी महान् कृतियो का दिग्दर्शन आगे कराया जायेगा।
(x) जैन धर्म राज-धर्म:चद्रगुप्त मौर्य, सम्प्रति, खारवेल, अमोघवर्ष, कुमारपाल आदि राजा तथा चामुण्डराय जैसे सेनापतियो व विमल शाह, वस्तुपाल, तेजपाल, भामाशाह आदि जैसे दक्ष मंत्रियो, सेठ-साहूकारो तथा अन्य उच्चाधिकारियों द्वारा जैन धर्म की मान्यता से जैन धर्म के विकास में विशेष योगदान मिला।