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लड़खडा जाप्ता । उसमें त्रुटि यह थी कि वह नेत्रहीन था, तो भी अपनी लाठी के सहारे आगे बढ़ने का प्रयास कर रहा था।
लंगडे आदमी को उस अधे व्यक्ति से वार्तालाप करके अत्यन्त प्रसन्नता हुई क्योकि दोनो का लक्ष्य एक था और दोनो एक दूसरे के पूरक थे। दोनों मे एक न एक मूल त्रुटि थी। तय पाया कि टांगविहीन व्यक्ति अधे की पीठ पर सवार हो जाये और अधा अपने नेत्रो वाले साथी के निर्देशन पर मार्ग पर आगे बढे । अंत में वे दोनों सुविधापूर्वक अपने इच्छित स्थान पर पहुँच कर आनदविभोर हो गये। ___ इसी प्रकार सम्यक्दर्शन (श्रद्धान) और सम्यक् ज्ञान को जब सम्यक् चारित्र (आचरण) का सम्बल मिलता है तो इस त्रिपुटी (त्रिरत्न) से जीवन लक्ष्य अर्थात् मोक्ष की प्राप्ति होती है ।
झगडे का मूल "प्राग्रह" है। झगडे को मिटाना बुद्धिमत्ता में शामिल है । झगडे को मिटाने के लिए दोनों पक्षो की बात सुननी पड़ेगी। दोनो पक्षो में प्रॉशिक सच्चाई हो सकती है।
___ एक पुरानी कथा है-कुछ अंधे एक हाथी के निकट गए यह जानने के लिए कि हाथी कैसा होता है ? जिसने सूड को पकड़ा वह चिल्लाया, "हाथी साप जैसा है।" जिस अधे व्यक्ति के हाथ में कान पाया उसने कहा कि हाथी पखे जैसा होता है। तीसरे ने पूछ पर हाथ फेरते हुए कहा अहो ! हाथी तो रस्से के समान है । जिस अन्धे का हाथ हाथी दाँत पर पड़ा उसने हाथी को डण्डे की उपमा दी। जिस अंधे का हाथ हाथी की टाग पर पड़ा उसने झुझलाकर कहा अरे यह हाथी है या वृक्ष ? जो अंधा हाथी के पेट को टटोल रहा था उससे यह कहते