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अन्य प्राकृत व्याकरण जो रचे गये निम्न हैं :1. प्राकृत शब्दानुशासन त्रिविक्रम कृत 13वीं शताब्दी ई.
(स्वोपज्ञ वृत्ति) 2. प्रौदार्य चिंतामणि श्रुतसागर वि. सं. 1575 3. चिंतामणि व्याकरण शुभचद्र सूरि
(स्वोपज्ञ वृत्ति) 4. अर्धमागधी व्याकरण शतावधानी मुनि रतनचद्र वि.स.1995 5. प्राकृत पाठमाला ,
कीटक शब्दानुशासन अकलक ने कन्नड भाषा में इस व्याकरण की रचना की। इसमें 592 सूत्र हैं । नागवर्म द्वारा रचित "कर्णाटक भूषण' व्याकरण की अपेक्षा यह बड़ा है और शब्दमरिणदर्पण नामक व्याकरण से इसमें अधिक विषय हैं । इसलिये कर्णाटक शब्दानुशासन सर्वोत्तम व्याकरण माना जाता है।
अन्य विषयों में जैनो की कृतिया पुस्तक का कलेवर बढ जाने के भय से तथा पाठको की दिल. चस्पी कायम रहे, इस विचार से शेष विषयो मे केवल उपलब्ध ग्रथ सख्या देकर ही संतुष्टि की जाती है :क्रम स विषय निर्मित ग्रथ सख्या क्रम संख्या विषय ग्रंथ सख्या 1. कोश 45
4 अलकार 2 काव्य अनेक 5 नाटक 8 छंद
6 सगीत
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