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________________ काव्य है । अन्य उच्चकोटि के संस्कृत साहित्य काव्य निम्न हैं । 1. चंद्र प्रभ चरित-वीर नदिकृत 2. धर्म शर्माभ्युदयहरिचन्द्र कृत 3 द्विसघान-धनजय कृत 4. नेमि निर्वाण -वाग्भट्ट कृत 5. महापुराण-मल्लिषेण कृत 1047 ई. पुराण व चरित (अपभ्र श भाषा मे) : अपभ्र श भाषा में तो जैन कवियो ने खूब रचनाएं की हैं। इस भाषा का साहित्य जैन भण्डारो मे भरा पड़ा है। अपभ्र श बहुत समय तक यहाँ की लोक भाषा रही है और उसका साहित्य भी बहुत लोकप्रिय रहा है। पिछले कुछ दशको से इस भाषा की अोर विद्धानों का ध्यान आकर्षित हुआ है । अब तो वर्तमान प्रातीय भाषाओ की जननी होने के कारण भाषाशास्त्रियो और विभिन्न भाषाओं का इतिहास लिखने वालों के लिए अपम्रश का अध्ययन आवश्यक हो गया है। पुष्पदत अपभ्रंश के महान् कवि थे। इनका "त्रिषष्टि महापुरुष गुणालकार" एक अपूर्व ग्रंथ है । पुष्पदत ने महाकवि स्वयम्भू का स्मरण किया है। स्वयम्भू कनकामर, रइधु आदि अनेक कवियो ने अपभ्र श भाषा के साहित्य को समृद्ध बनाने के लिये कोई कोर कसर उठा नही रखी। पुष्प दत ने यशोधर चरित और नागकुमार चरित भी लिखे हैं । (ii) कथा साहित्य जैनो द्वारा निर्मित कथा साहित्य भी विशाल है । प्राचार्य हरिषेण का कथाकोष प्राचीन ई. (932) है । 'आराधना कथा कोष' पुण्याश्रव
SR No.010210
Book TitleJain Bharati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShadilal Jain
PublisherAdishwar Jain
Publication Year
Total Pages156
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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