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चपेटा 6. परलोक सिद्धि 7. सर्वज्ञान सिद्धि
8. धर्मसंग्रहणी 9. लोक तत्व निर्णय योग विद्या पर हरिभद्रसूरी के ग्रन्थ ये हैं:1. योग दृष्टि समुच्चय 2. योग बिन्दु 3. योग शतक 4. षोडशक कथा-वस्तु पर इनके रचित ग्रन्थ:
1. समरादित्य कथा (समराइच्च कहा) • 2. धूर्ताख्यान
आचार शास्त्रो मे 'धर्म बिन्दु' इनका ख्यातिप्राप्त ग्रन्थ है । यह सर्वतोमुखी प्रतिभा के धनी थे। भिन्न विषयो पर इनके लेख तथा आलोचनाएं सर्वमान्य हैं।
(12) विद्यानदि:
ईसा की नवमी शताब्दी में विद्यानदि अपने समय के समर्थ विद्वान थे। इन्होने अकलकदेव की 'अष्टशती' पर 'प्रष्टसहस्री' नाम का महान ग्रन्थ लिखा। अति कठिन होने के कारण उसे कष्ट सहस्री भी कहा जाता है। विद्यानदि सभी भारतीय दर्शनों (हिन्दु, वैदिक, जैन, बौद्ध) के पारगामी विद्वान थे। उन्होने तत्वार्थ सूत्र पर 'तत्वार्थश्लोकवातिक' एक सुन्दर भाष्य लिखा।
दर्शनशास्त्र पर उनके मौलिक ग्रथ निम्न हैं:1. प्राप्त परीक्षा 2. प्रमाण परीक्षा 3. पत्र परीक्षा 4. सत्यशासन परीक्षा 5. विद्यानद महोदय (मप्राप्य)
स्वामी समतभद्र के युक्त्यनुशासन पर 'युक्त्यनुशासनालंकार' इन की एक महत्वपूर्ण भाष्य रचना है ।
अपने 'श्रीपुरपाश्वनाथ स्तोत्र' की रचना की 'पचप्रकरण के कर्ता आपको ही माना जाता है।
आपने अपनी समस्त कृतियां सस्कृत में लिखी हैं,