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जैन भजन तरंगती ।
तेरा ममनूं जमीन आसमान है -हां ॥ ३ ॥ न्यायमत ध्यान ईश्वर लगाया करो || प्रेम भक्ती से गुण उसके गाया करो || वह बिलाशक गुणों का निधान है - हां ॥ ४ ॥
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श्रीभगवान महावीर स्वामी की स्तुति ।
चाल - मेरे मौला बुलानी मदीने मुझे ।
स्वामी सच्चा हितेषी बनादो हमें । करना पर उपकार सिखादो हमें ॥ टेक ॥ तू हितकर सर्व दर्शी दुष्करमका वेखंकन | सब चराचर पर दया का है तुही साएं फ़िगन || सातों तत्वों का रोज बतादो हमें ॥ १ ॥ घटा अज्ञान की चारों तरफ छाई हुई । फूट की गर्मी से कलियां प्रेम मुर्झाई हुई ।
प्याला प्रेम दयाका पिलादो हमें ॥ २ ॥ नाव खुदगर्जी के तूफां में है चकराने लगी । हा मती मल्लाह की भी अब तो वोहराने लगी || वनकर आप खिवय्या लंघा दो हमें ॥ ३ ॥
१ जड़ से उखाड़ने वाला ॥ २ साया करने वाला || ३ मद ।