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जैन भनन तरंगती। देवरिया आदेंगे शासन बीर-हमारी आन बँधाव धीर । देखो देवरिया-छोड़ो झगड़िया । राखूगी शील सँभार ॥ देवरिया कह्या हमारो मान ॥ २ ॥
नोट-अकलवर सन् १९२४ में देहली के करीब दरयाय जमना में सैलाब (पानी की रो)आ गया था जिससे वहुत मे गाँव. प्रादमी व गाय भैन आदि वह गए थे और लोग बड़ो तकलीफ में थे। हम भी स्वयं इस दुखमई दुर्घटना को देखने के लिये देहली गए थे। वहत से मनुप्य और पर जमना में बहते जा रहे थे। जिनमें से कुछ मनुष्य व पशु सेवासमिती के वीरों ने रस्से आदि डाल कर निकाले थे-और देहली के शाही किले के सामने पड़े थे ॥ देहली वालों ने उनके खाने पीने का प्रवन्ध किया हुआ था। उन मनुष्यों पर जो दुख था और जो कुछ वह जुबाने हाल से फरयाद कर रहे थे उसका फोटो इस भजन में संव कर दिखाया गया है।
चाल-मेरे मौला घुलालो मदीने मुझे। . कोई जमना किनारे लगा दो हमें। ऐसी मोजेना से बचा दो हो । टेक! . हाय क्या जमना में अवके जोश है सैलाब का ।
क्या टिहर्सल है यह परलय की राजन गिवि का । कोई इतना तो ठीक बता दो हमें। १ ।
बल्लियों पानी चढ़ा पानी में सब कुछ बह गया।
अब तो पुल जमना का भी फुट एक बाकी रह गया। ऐसी आफ़त से कोई बचा दो हमें २॥ । कांपता है जी ज़रा इनकी हकीकत देखकर ।
है हरइक मगरम दुखियों की मुसीबत देखकर । कीजे क्या तदबीर बता दो हमें ३ ॥
१ प्रलय की लहर ॥२पानी की तेज धारा ॥ ३ आज़माएशी काम ॥ ४ भंवर ५ हाल दरंजीदा।