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जैन भजन नरंगती। सुलह उनकी हो तो कराते चलो !! ५ ॥
की मदद कुछ यतीयों की भाई ॥ जो मरते हैं भूके बचाते चलो ॥६॥
कीना हसंद खुदगर्जी की आदत ॥ जहां तक बने सो घटाते चलो।। ७ ।।
सुनाकर घरम सबको धर्मी बनाओ। पापों से दामन वचाते चलो ॥ ८॥
झूटे खयालों को दिलले हटाओ। सत्य बातों के हामी बनाते चलो ॥९॥
न्यामत घर घर विद्या फैला दो। जहालत को जड़से मिटाते चलो ।। १०॥
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चाल-कौन करता है कि मैं मेरे गदाग में । ( नीचे लिखे ६ बल यथा शक्ति प्रत्येक माता का सामना करने चाहिये ) उन्नति चाहो तो वल विद्या का हामिल कीजिये। इसके आगे और वल निर्बल है सत्र सुन लीजिये १ ॥ रूप तप परिवार धन बल धर्म बल और मित्र बल । राज बल काया का बल नव बल निश्चय कीजिये ।। २ ।। होके निर्वल न्यायमत जग में कमी रहना नहीं। इसलिये कोई तो वल अपने में पैदा कीनिये ॥ ३॥ .
१ घर जलन।