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॥ ढाल ८ मी॥
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चौतले राजा नो भेटणो । आयो गुरां रे पास हो महामुनि । सेतम्बौका में हो पूज्य जी जांवतां । बन्दणा करु उलास हो महामुनि। पूज्य जी पधारों हो नगरौ हम तणौ ॥ १॥ होसौ घणो उपकार हो महा० घणा लोकां में हो मारग घालस्यो। थे देस्यो पार उतार हो महा० । पू० ॥ २॥ सैविया-नगरी हो स्वामौजी दीपती। छै वा देखवा जोग हो महा०॥ तिण में तो आयां नफो बहु निपजे। सुखिया वसे सहु लोग हो महा० ॥ पु० ॥३॥ प्रदेशो में सेल्यो भेटणी । ले चालं हूं खाम हो महा० ॥ एकवार दोयवार कोनी विनती। गुरु नहीं बोल्या ताम हो महा० ॥ पू० ॥ ४ ॥ तौजी वार करतां विनती। गुरु बोल्या हेत लगाय हो चतुर नर फलियो कलियोहो चिता बाग छै। पशु जाब के न जाय हो । चतुर नर । उत्तर दे मोने दूण बातरो ॥ ५॥ हां खामी चित कहै जावे सही । वले गुरु बोल्या आम हो चतुरनर । तिणही वाग में कोई पारधी वसे। तो जायके न जाय हो । ॥ चतुः । उ० ॥६॥ हां खामी चित कहै नावे नहीं। भय उपजे तिण मांयहो ॥ महा० । गुरु कहै वाग ज्यं