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( ३६ ) मेह नाणो पाछा धसै, व पेठी तिण न्याव ॥२॥ दूहां सूरियाम देव नो, झिहां सूरियाभ बिमाण । बोर कहै उर्दू लोकमें, सर्व रत्ना में जाण ॥३॥ सुधर्म देव लोकना, बतीस लाख विमाण । मध्य भाग शक्र इन्द्रनो, पांच विमाण बखाण ॥४॥ विचला सुधर्म बिमाण सु, पुरव दिश ने जाण। संख्याता जोजन गयां, त्यां सूरियाम बिमाण ॥५॥ लाख सवा छ, जोजन पोहलो जाण । गोल चन्द्रमा सारोषो, सोवन कोट बखाण ॥६॥ ऊंचो जोजन तौनस, धुरसो जोजन नाण । पचास जोजन मध्य विच, अपर पचीस बखाण ॥
॥ ढाल ५ मी ॥
देशी चौपाई नी। कोसौसा मणिय रत्न तणा । पंच वर्ण शोभे अति घणा । लाम्बा एक जोजन तणा । अई जोजन ज्यारा पोहल पणा ॥१॥ ऊंचा देश उणा जोजन कह्या । प्रतर रूप मान ए शोभ रह्या ॥ १॥ दरवाजा च्यार प्यार हजारी । त्यांरा थोड़ा सा कहं विस्तारौ ॥ २ ॥ पांच सो जोजन के ऊंच पगो। अढाई सो जोजन पहोल पयो। अढाई से जोजन प्रवेश पणा । घादिक तुम चित्राम घणा ॥३॥ सहस सूरज उद्योत घणो ।