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पामीयो हर्ष उल्लास रे ॥ आयो के बेग सताव सं । वौर जिलेश्वर पासरे ॥ पु० ॥ १३ ॥ कहै ई सेवक सूरियाम नो । बन्दणा करू बारम्बार रे ॥ वौर जिणेश्वर इम कहै । जनो छै तुम आचार ने ॥ पु० ॥१४॥ इम सुणी सुर हो घणो । उठियो धर्म में प्रौत रे ॥ मांडलो निपट चोखो कग्रो कही सु करी सर्व रौतरे पु० ॥ १५ ॥ सूरिमाभ देव कने आय में। दौधौ सर्व जताय रे ॥ सृरियाभ सुण हर्षित थयो। बोलियो ए. हवी बाय रे ॥ पु० ॥ ६॥ सुधर्मी सभा मझे जाय ने। सुखर घण्टा बजाय रे ॥ मोटे मोटे शब्द करौ । देव भेला हुवा आयरे ॥ पु० ॥ १७ ॥
॥ दोहा॥ बचन सुणो सूरियाभनो । सेवक हर्षित थाय ॥ सुधर्मी सभा मझे। घण्टा दीवी बजाय ॥ १ ॥ सृरियाम देव वौर वान्दवा। जासौ धर्म में हेज ॥ देव देवी बेगा आवज्यो। विलम्ब न कोज्यो जेज ॥२॥ हृता देव प्रमाद में । विषय रोग में ताम ॥ घण्टा शब्द मुण्या पछौ । सहु हुवा सावधान ॥३॥ मांहों मांही इसड़ी कहै। बान्दण में जगनाथ ॥ आपणा धगी पधारियां। आपां हुम्यां साथ ॥४॥