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प्रासरी निवद्य के अशुभ जोग सावध है। ६ संबर सावद्यक निर्वद्य निर्वद्य छै ते किणन्याय
कर्मा में गेकी ते निवंद्य छ। ७ निरजरा सावद्यक निर्वद्य निर्वद्य छै ते किग
न्याय कर्म तोडवारा परिणाम निर्वद्य छ। ८ बंध सावद्यके निर्वद्य दोनू नहीं ते किणन्याय
अजीव छै डण न्याय । ६. मोक्ष सापद्यके निर्वद्य, निर्वद्य है, सकल कर्म
मूकाय सिद्ध भगवंत थया ते,निर्वद्य छै। लडी तोजी आज्ञा मांहि बाहिरकी॥ १ जीव आज्ञा मांहि के बार, दोन 7 ते किणन्याय, जीवज्ञा चोखा परिणाम आज्ञा मांहि
है, खोटा परिणाम आज्ञा बाहिर है। २ अजीव आज्ञा मांहि बाहिर, द नहौं, अजीव
है।
३ पुन्य आज्ञा मांहि के बाहिर दो नहीं अजीव —
छै दुगा न्याय । ४ पाप आज्ञा मांहि बारे दोन नहीं अजीव है। ५ बास्त्रव आज्ञा मांहिके बारे, दोलूंडू छै, ते किणन्याय, आस्रव नां पांच भेद छै तिणमें