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न्यामत बिलास
गणधर भी बहुत कथ चुके आखिर यह कहगए । यह भेद है वह भेद बताया नहीं जाता || २ || है क्या मजा इन्द्र चन्द्र कुछ भी लिख सकें । -लिखना तो क्या क़लम भी उठाया नहीं जाता ॥ ३ ॥ हैं गुण अनन्त आरपार पा नहीं सकते । महिमा अपार सार सुनाया नहीं जाता ॥ ४ ॥ न्यामत को ज्ञान दीजे मगन हो भजन करे । भक्ती का भाव हमसे हटाया नहीं जाता || ५ ||
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चाल - नाटक || य सनम व ज़रा मुझे देता बता कहाँ जाये छिपा नहीं आता नज़र ||
करो भगवत का ध्यान, वोह है सबसे महान, उसे है सब का ज्ञान कहा जिन्नो बशर । वाकी शक्ती अपार, वाकी महिमा अपार,
गए गणधर भी हार नहीं पाई खबर || १ || किया करमों का नाश शिव मारग प्रकाश, करो उसकी तलाश, आवे दिलको सबर | छोड़ो झूठे कुदेव, करो अरिहंत सेव,
मिले तुमको स्वमेव, मुक्ती की डगर ॥ २ ॥ जरा करके खयाल, सुमती को सँभाल, कुमती को निकाल, करो उसका जिकर ।