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न्यामत बिलास
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चाल- भान पाली श्रीमती जननी सुन मायारी॥
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आज मानों विघन हरन धन छाए जी ॥ टेक ।। शांत स्वरूप लखो जिनतेरो, शांति सुधा बरसायेजी।
आज०॥ १॥ मन दादुर भवबनमें प्यासो, तृश्ना कलुष मिटायेजी ॥
आज०॥२॥ भागे रोग सोग सबमेरे, आनंद उरन समायेंजी ।।
आज०॥३॥ निरखि श्रीजिन आनन भानन, भ्रमतम घाननसायेजी। . आज०॥४॥ न्यामत समकित सम्पत पाई, जिन चरनन चितलायेजी। आज० ॥५॥
.. १३ चाल-तुम बोलो या न बोलो आशक तो हो चुका हूं.' करो पार नैय्या मेरी, डूबा में जारहाहूं ॥ टेक ॥ भवसिन्धु है अपारा, जिसका न.वारपारा ।
एजी हैरत में आरहाहूं ॥१॥ मदलोभ क्रोध माया, तूफान सिर पे आया ।
चकर मैं खारहाहूं ॥२॥ मिथ्यात अंधेर छाया, रस्ता,मेरा भुलाया, : . "
उलटा मैं जारहा ॥३॥
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