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न्यामन बिलाम बालापन कम निवास, अगनी जस्ता नाग बाग। बैरी करमन मार नप बल धाग्नाजी । तन०॥ १॥ जीवा जीव दस्व बतलाए, सब जीवन के मम्म मिटाये । शिव मारग दरसायो दुव परिहानाजी । नन ॥२॥ स्यादवाद सतभंग मुनायो, नयएमाण निश्चय करवाया। झूठमत किये खंडन मत को धारनाजी । तन०॥ न्यामत जिन पारम गुणगाव, पुन पुन चानन माम नया । बीतराग सर्वज्ञ तुही हितकारनाजी ।। तन० ॥ ४ ॥
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हमारे स्वामी वार क्यों लगाई मेरी बार में | टेक ॥ • खड़ी व्याकुल पुकारी द्रोपद, चीर को बताया दरबार में ।
हमारे० ॥ १॥ पड़ी अगन मंझारी सीता, जलकर डाग पर चारमें ।
हमारे० ॥२॥ करो मेरी भी सहाई स्वामी, नव्या तो पड़ी है मंझधार में।
हमारे० ॥३॥ लख ऐसी तेरी महिमान्यामत. अरज गुजारी माकार में। 1. हमारे० ॥ ४॥
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