________________
( ३६ ) १७ असोच्चाकेवली अधिकारी इम कह्यो-तपस्यादिक थो समदृष्ट पामै ।
(भगवती श० ६ उ० ३१) १८ सूरियाद ना अभिबोगिया देवता भगवान ने वाद्यां
तिवार भगवान कयो-ए वन्दना रुम तुम्हारो पूराणो आचार छै १ ए तुम्हारो जीत प्राचार छै २ ए तुम्हारो कार्य छै ३ ए वंदना करवा योग्य छै ४ ए तुम्हारो धाचरण छै ५ एवंदना नौ म्हारी भाता है।
(रायप्रसेणी देवताधिकार) १६ खन्धक सन्यासी, गोतम ने पूछो, हे गोतम !
तुम्हारा धर्माचार्य महावीर ने वांदां यावत् सेवा करां। तिवारे गोतम कह्यो, हे देवानुप्रिय ! जिम्म सुख होवें तिम करो मिण विलम्ब मत करो।
(भगवती श० २ उ०१) (क) दीक्षा नौ श्राजा पर भगवत पार्श्वनाथ 'अहं मुहं पाठ कह्यो।
(पुप्फ चूलिया) २० भगवत श्री महावीर, खन्धक ने पडिमा वहवानी पाना दीधी।
(भगवती २०२3.10